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गौसे आज़म की हयातो खिदमात - Ghous e Azam History in Hindi

इस पोस्ट में जानेंगे Ghous e Azam की History, के बारे में उनके इल्म और मरतबे के बारे में, उनके वेलादत्त बासआदत के बारे और उनके वालिद वालदा के बारे मे
Noor Alam
Noor Alam
24 Jun, 2022 0 0
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Ghous e Azam History in Hindi, बंदगाने खोदा में वही शख्स अल्लाह ताअला के नजदीक मक़बुलियत व महबूबियत के मनसब पर फाइज होता है जो अपनी जिनगी को ईमान व तकवा व अमले सालेह की कसौटी में ढाल लेता है इसी जानिब कुरआन बनी आदम को ईमान व अमले सालेह की तरगिब देते हुए एशारा करता है Ghous e Azam History in Hindi,

गौसे आजम रदी अल्लाहो अनहो की हयातो खिदमात - Ghous e Azam History in Hindi 


जैसा के अल्लाह ताअला ने क़ुरआन मजीद में इरशाद फ़रमाया (सूरह मरयम ) आयत (27) तर्जमा - बेशक वह जो ईमान लाये और अच्छे काम किये अनकरीब उनके लिए रहमान मोहब्बत पैदा कर देगा ) माजी करीब के एक अजिम मोफस्सीर व मोहक़्क़ीक अल्लामा सय्यद नाइमुद्दीन मुरादाबादी आएते करिमा के तफ़सीर के जीमन में फरमाते हैँ के उससे मालूम हुआ के मोमेनिन व सालेहीन औलियाये कामेलीन की मक़बुलियत आमा उनकी महबूबियत की दलील है

बारगाहे किबरिया में औलियाये कामेलीन की मक़बुलियत व महबूबियत के तअल्लुक से हुजूर सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम ने इरशाद फरमाया जिस हदीस को इमामे तिरमेजी ने अपने जामे में नक़ल फ़रमाया है --(जामे तिरमेजी जिल्द दोम अबवाबे तफ़सीर )

Hadith - हजरते अबू हुरैरा रदी अल्लाहो अनहो से रवायात है के रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया के अगर अल्लाह ताला किसी बन्दे से मोहब्बत करता है तो जिब्रिल से फरमाता है के मैं फलां बंदा से मोहब्बत करता हूं तुम भी उस से मोहब्बत करो नबी अकरम साल्लाहो अलैहे वसल्लम इरशाद फरमाते हैँ के जिब्रिल अलैहिस्सलाम आसमान वालों में उनका ऐलान करते हैँ और उसकी मोहब्बत जमीन वालों के दिलों में उतार दी जाती है शिरको गुरुब और जूनूबो शमाल के तूल अर्ज में बे शुमार ऑलिए कामेलीन खलके खुदा की दस्तगिरी व रहनुमाइ के खातिर जलवा अफरोज हुए जिनकी जाते बाबरकात से खलके कसीर मुन्तफिअ व मुस्तफिज हुई

तौहीद की दवातो व तब्लीग की खिदमात हजरत सरकारे दो आलम सल्लाहों अलैहे वसल्लम व जुमला खोलफाये राशेदिन रदी अल्लाहु अन्हुम के बाद इस्लाम के मोतदिन उलमा व सुफिआ अंजाम देते रहे हैँ जिनकी कावोशों और एखलाको किरदार से दिने इस्लाम की पूरी दुनयान खूब फ्रूग हुआ उन्ही सुफिया में एक अजिम हस्ती हैँ जिनकी जात खासाने खोदा के मैबैन बेहद मकबूल और महबूब थी यानि महबूब सुबहनी वाक़िफ़ असरार माआनी सय्यदना शैख़ मोहियुद्दीन अब्दुल क़ादिर जिलानी रदी अल्लाहो अनहो आप दुन्याये तसऊउफ़ में मोहताजे तआरुफ नहीं

आप के सिलसिला को तमाम सिलसिलों पे तफऊउक हासिल है बल्कि जुमला सिलसिलों के औलिया फ़ैजाने क़ादरीयत के मोहताज है

Quran : ( सूरह हदीद आयात 21) तर्जमा -- ये अल्लाह का फजल है जिसे चाहता है आता करता है और अल्लाह ताला बड़ा फजल वाला है ) सय्यद मोहम्मद मक्की रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैँ हजरत सय्यदना गौसे आजम रहमतुल्लाह अलैह को जितनी मक़ाम महबूबियत में शोहरत मिली है ये शोहरत दूसरों को हासिल नहीं सय्यदना अब्दुल क़ादिर जिलानी की महबूबियत ऐसे ही मशहूर है जैसे रसूल करीम की महबूबियत मशहूर है केयुंकी गौसे आजम सरकारे दो आलम के क़दमों पर हैँ

सय्यदना शैख़ अब्दुल क़ादिर की जिस रात वेलादत्त बा सआदत हुई उस रात सय्यद अबू सालेह जंगी दोस्त रहमतुल्लाह अलैह के ख्वाब में हुजूर तशरीफ़ लेकर इरशाद फ़रमाया बेटा अबू सालेह तुझे मोबारक हो अल्लाह ताला ने जो बेटा तुझे आता किया है वाह मेरा बेटा महबूब है मक़ाम व रुतबा के लेहाज से औलिया में ऐसा ही होगा जिस तरह मेरा मक़ाम व मर्तबा अम्बिया व रसूल के दरम्यान है

तारीखे वेलादत्त व खानदानी व जाहत गौसे आजम रदी अल्लाहो अनहो

सय्यदना शैख़ अब्दुल कादिर जिलानी 1 रमजानुल मुबारक (470 हिज्री को ईरान के मशहूर शहर जिलान में पैदा हुए इस लिए आप को जिलानी भी कहा जाता है वालिदे मोहतरम का नाम अबू सालेह जंगी दोस्त है और वालदा मखदुमा का नाम उम्मुल खैर उम्मतुल जब्बार फातमा है

आप का सिलसिला नसब हजरते हसन मोसन्ना कूदसा सररहू से होते हुए सय्यदना इमाम हसन मुजतबा रदिअल्लाहु अनहो तक पहुँचता है और वालदा मजदा की तरफ से आप का सिलस्ले खानदान हुसैन रदिअल्लाहु अनहो से वबिस्ता है इस लिए आप खानदानी शराफत और नसबी व जाहत के एतबार से हसनी हुसैनी सय्यद हैँ

तहसीले इल्म गौसे आजम रदी अल्लाहो अनहो

आप ने सात साल की उम्र में क़ुरआन मजीद का हिफ्ज मुकम्मल कर लिया था फिर उलुमे अकलिया व नक़लिया की तहसील में आठरह साल की उम्र में बगदाद के मशहूर दरसगाह जमींया निजामियाँ में दाखला लिया और अबू जकरया यहया बिन अली अली बिन अकील मोहम्मद बिन हसाने बाकलानी जैसे इल्मो फजल की सोहबत एखतेयार फरमा कर मुख्तलिफ उल्लूमों फुनून मसलन हदीस फिकह उसले फिकह अदब की तालीम हासिल की

बादहु इल्मे तसऊफ की तरफ मोतवज़ह हुए और हजरते हम्माद बास की खिदमत में हाजिर होकर इल्मे तसऊफ की ताकमिल की इल्में फिकह में आप को काफी दस्तरस हासिल था बल्कि आप दर्जे इज्जतहाद पर फायज थे चुनाँचा हजरते शैख़ अब्दुल हक़ मुहद्दीस देहलवी रहमतुल्लाह अलैह आप के इलमी तफऊक के तअल्लुक लिखते हैँ मशहूर है की हजरत गौसे आजम तमाम औलिये एराक के मरजअ बल्कि तमाम दुन्या के तालिबाने मारकज थे

अतराफे आलम से आप के पास फतवा आते थे जिनका गौरो फ़िक्र और मोतालआ क़ुतुब के बगैर फ़ौरन आप सही जवाब लिखते बड़े बड़े मोतबार आलिम को आपके खिलाफ जरा सा भी लिखने या कहने की मजाल ना थी

हैरत कर देने वाला फतवा का जवाब गौसे आजम रदी अल्लाहो अनहो

एक मर्तबा आपकी बारगाह में एक फतवा आया जिसमें तहरीर था के ( - क्या फरमाते हैँ सादात उलमा इस मसले में के एक शख्स ने कसम खाई केअगर वह अल्लाह ताला की ऐसी ऐबादत न करे जिस ऐबादत में अफराद इंसानी में कोई भी शख्स किसी भी जगह उसका शरीक ना हो तो उसकी बीबी पर तीन तलाक ) तो आप ने फ़ौरन बगैर गौरो फ़िक्र किये जवाब दे दिया के खाने काबा के त्वाफ करने वाले को खाली करा लिया जाए फिर ये शख्स तन्हा त्वाफ करें तो उसकी कसम ना टूटेगी

कमाले इल्म का आलम ये था के आप अपनी मजलिस जिसमे कासीर तादात में उलमा फुजला की शिरकत होती थी एक एक आयत की मोतअददद तफ़सीर बयान फरमाया करते थे अहले मजलिस कुछ ताफ़ासीर से वाकिफ होते बकिया में अपनी ला इलमी के पेशे नजर हैरत व इस्तेअजाब इजहार फरमाते चुनाँचा

अब्दुर रहमान जाऊजी से मंकुल है के

एक मर्तबा शैख़ अब्दुल कादिर जिलानी की मजलिस हाफिज अबुल अब्बास अहमद बिन अहमद अल्बगदादी अली इब्ने जाऊजी शरीक थे कारी ने एक आयत की तिलावत की शैख़ अब्दुल कादिर जिलानी ने इस आयात की तफ़सीर बयान किया जिससे ये हजरात वाकिफ थे उसके बाद

आप ने चालीस माआनी बयान फरमाए जिसमे से ये दोनों ग्यारह मा आ नी जानते थे बकिया मा आ नी इस कदर उम्दा और अजीज थे की शैख़ की वसीयत इल्मो फजल से अहले मजलिस की हैरत व इस्ते अ जाब में मजीद ऐजफा हो गया ( बहजतुल असरार -सफा 343 )

एखलाको आदात गौसे आजाम रदी अल्लाहो अनहो

आपका एखलाको आदात ( इन्नाक ल अ ला खुलुकीन अजिम )का नमूना और ( इन्नक लअला हुदम मुस्तकीम ) का मिदाक थे आप आली मरतबत जालीलूल कदर वासीउल इल्म और शानो शौकत के बावजूद जइफोँ की मजालेसत फकीरो की सोहबत पसंद फरमाते और उनके साथ त्वजो से पेश आते बड़ो की इज्जत छोटो पर शफ़कत सलाम में पहल फरमाते इंतहाई खुश एखलाक नर्म तबियत करिमूल एखलाक पाकीजा औसाफ और शफीक मेहरबान थे

जलेस की इज्जत और मगमूम की इमदाद फरमाते ना फरमानो सरक्शो जालिमो और मालदारों के लिए कभी खड़े ना होते ना कभी किसी वाजिर व हकीम के दरवाजे पर जाते मशायेखे वक्त में से कोई भी हुस्ने खुलक वसीआते क्लब करम नफ़्स और अहद की निगाह दाश्त करने वाला नहीं था

तारीखे वेसाल गौसे आजम रदी अल्लाहो अनहो

सय्यदना शैख़ अब्दुल कादिर जिलानी रदी अल्लाहो अनहो ने अपने वफ़ात से चंद दिन कबल अपने अहबाबो अकरीब को बता दिया था के अब मेरी वफ़ात का दिन करीब है चुनाँचा दो माह अलील रह कर 91 साल की उम्र 11रबीउस सानी 561 हिज्री को रात में इस दारेफानी को खैराबाद कहा आप के बड़े साहबजादे हजरत सय्यद शाह अब्दुल वहाब क़ादरी ने नमाजे जनाजा पढ़ाया

फिर आप मदरसा कादरिया के सेहन में दफान किये गए आप की जात हयात व मामात दोनों हालतो में खलके खोदा के लिए फैज़ बख्श है खोन्दा वन्दे करीम आप के फैज़ से जुमला मुसलमानाने आलम को मुस्तफ़िज़ फरमाए -आमीन

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