ख्वाजा गरीब नवाज की हयातो तालीमात - Khwaja Garib Nwaz History In Hindi
ख्वाजा गरीब नवाज की हयातो तालीमात - Khwaja Garib Nwaz History In Hindi
खवाजा गरीब नवाज कौन हैं , खवाजा गरीब नवाज एक अल्लाह ताआला के वली हैं यानि (अल्लाह ताआला के दोस्त ) अल्लाह तआला ने कुरान शरीफ में अपने वालियों के बारे में खास सिफत बयाँ किया है |अल्लाह त आला कुरान में इरशाद फरमाता है के ( अल्लाह के वलियो को न किसी चीज का गम है न किसी चीज का खौफ ) यानि अल्लाह के वाली सेयाये अल्लाह त आला के किसी से नहीं डरते बलके उन से हर चीज डरा करती करती है
जेयाराते रसूल : हिन्दुस्तान में जाने का
हुक्म ख्वाजा गरीब नवाज को
हजरत खवाजा गरीबनवाज रहमतुल्लाह अलेह जब रौजये रसूल सललल्लाहो अलैहे वसल्लम पर हाजिर हुए तो उस रात आप रहमतुल्लाह अलैह को ख्वाब में हुजुर नबी अकरम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की जेयारत बा साआदत नसीब हुई हुजुर नबी अकरम सल्ललाहो अलैहे वसल्लम ने आप रहमतुल्लाह अलैह को हिन्दुस्तान की वेलायत अटा फरमाते हुए तब्लिगे इस्लाम के लिए हिन्दुस्तान जाने का हुक्म दिया |
जब हिंदुस्तान तशरीफ़ लाये तो अपने साथ लश्करे जर्रार तिरो तलवार ले कर नहीं आये बलके अख्लाके अहमद मोख्तार सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम बुलंदे किरदार ले कर आये |फिर ख्वाज्ये हिन्द हजरत खवाजा गरीब नवाज रहमतुल्लाह अलैह जिन्हों ने हिंदुस्तान में इस्लाम का चराग रौशन किया और इस्लाम के पैगाम को आम किया जिससे हिंदुस्तान के बहुत से लोग मुसलमान हुए |
हजरत स्य्यदना गरीब नवाज रहमतूल्लाह अलैह आयते कुरानिया अहदिसे नाबविया और बूजुर्गाने दिन के अक़वाल का जिक्र फरमाकर लोगो की इसलह फरमाते लोग अपने ख्यालात के मोताबिक मुस्ताफीज होते आप की मोबारक मजलिस में शरीयतो तरिकात और हकीक़तो मारेफ़त की तरफ लोगो को मोतवजह किया जाता और फ्रजो सुन्नत की अदाएगी रेयाज्त व मोजहिदा पाकीजगी व खुलूस तहारत व नफासत सिदको सफा खौफे खोदा और म्ख्लुके खुदा की खिदमत की तालीम देते थे
Khwaja Garib Nwaz -की वेलादत बा सआदत और नाम
हजरत खवाजा गरीब नवाज रहमतुल्लाह अलैह का पूरा नाम हजरत ख्वाजा सय्यद
मोईनुद्दीन हसन संजारी रहमतुल्लाह अलैह है गरीब नवाज बहुत ही इबादत गुजार
दीनदार और परहेज गार घराने में ईरान के सूबा स्जिस्तान में वाकये करया संजर में 14
रजबुल मुरज्जब 537 हिजरी माहे
अप्रैल 1143 इस्वी बरोज सोमवार सुबहे सादिक के वक्त पैदा
हुए (हवाला ) मोइनुल अर्वाह सफा नंबर 36
)
Khwaja Garib Nwaz Father Name
हजरत के वालिदे गरामी का नाम हजरत
सय्यद गयासुद्दीन हसनुल हुसैनी रहमतुल्लाह अलैह है आप अपने वालिदे गरामी के
वास्ता से हुसैनी हैं और वाल्दा मोहतरमा की तरफ से हसनी सादात से हैं सिलसिला
वालिद माजिद की तरफ से बारह वस्तों और सिलसिला वालादा मोहतरमा की तरफ सी ग्यारह
वास्तो से हजरत मौलाए काएनात स्य्य्दना अली मुर्तुजा रदी अल्लाहो अंहो से जा मिलता
है ( हवाला मुल्खिस अज इक्तिबास अलअन्वार सफा नंबर 346
Khwaja Garib Nwaz -उलूमे जाहिरी में कमाल
हजरत ख्वाजा गरीब नवाज रहमतुल्लाह अलैह पन्द्रह साल की उम्र मोबारक को पहुंचे
के वालिद माजिद का वेसाल हो गया दूसरा कौल
पन्द्रह साल से कम उम्र का भी है दो साल बाद वाल्दा माजदा का भी वेसाल हो गया तरका
में एक बाग़ था आप एबदतो रेयाजत में मशगूल रहते हुए बाग्यानी क्या करते थे लेकिन जब
आपको हजरते इब्राहीम क़्न्दुजि रहमतुल्लाह अलैह से नेमत मली तो आप को मजीद तलबे
इल्म व कमाल का इश्तेयाक हुआ |
और आप उलूमे जाहिरी में कमाल हासिल करने के लिए निशापुर तशरीफ ले गए और
आअला उलूम हासिल करके ऐसे बाकमाल हो गए के
वक्त के मशहूर आलिम आप की खिदमत में अपने इश्क्लात व सवालात पेश करते और आप उन्हें
इश्कालात के हल बतलाते और सवालात की की त्श्फी बख्श जवाब देते | हवाला
( अल्मुल्खिस अज्म्रात अलअसरार तबका 17 सफा 593 )
Khwaja Garib Nwaz - एख्लाको आदात और तालीमात
Khwaja
Garib Nwaz रहमतुल्लाह अलैह अत और बख्शीश और फ्याजी और दरया दिली की
ये कैफियत थी के कभी कोई मांगने वाला सायेल आप के दर से महरूम ना जाता यानि खली हाथ वापस न जाता |
हजरत ख्वाजा कुतबुद्दीन ब्ख्तेयार काकी रहमतुल्लाह अलैह का बयान है के मैं एक
अरसा तक आप की खिदमत अक़दस में हाजिर रहा उस दौरान कभी किसी सायेल या फकीर को आप के
दर से खाली हाथ जाते नहीं देखा ,
आपके लंगर खाना में रोजाना इतना खाना तैयार क्या जाता था के शहर के तमाम गुरबा
व मसकीन खूब सैर हो कर खाते खादिम हाजिर बारगाह हो कर जब रोजाना खर्च का मोताल्बा
करता तो आप मोसल्ले का एक गोशा उठा कर फरमाते जिस कद्र आज के खर्च के लिए जरुरत हो
ले लो ,वह म्त्लुबा मिकदार में ले लेता और हस्बे मामुल खाना पकवा कर गरीबों और
मिस्कीनो के दरम्यान तकसीम कर दिया करता ,उसके एलावा हजरत गरीब नवाज रहमतुल्लाह
अलैह के दरबार से दरवेशों का वजीफा भी मुक़र्रर था | हवाल ( सिरते ख्वाजा गरीब नवाजा
- 264)
Khwaja Garib Nwaz का वेसाल मोबारक,
हजरत गरीब नवाज रहमतुल्लाह अलैह की मसाई जमीला और इस्तेक़ामत की बरकत से जुल्मत
कदा कुफ्र ,अनवारे तौहिदो रिसालत से जगमगाने लगा आप ने तमाम मखलूके खुदा पर शफ़क़त और
मोहब्बत और रहमत के फुल बरसाए आप मोहब्बते खुदा और रसूल का दरस देते रहे ,जब सफरे
आखिरत का वक़्त आया तो चंद औलिया अल्लाह ने हुजुर अकरम सल्लल्लाहो अलैहे वस्ल्ल्लम को
ख्वाब में देखा के इरशाद फरमा रहे हैं :अल्लाह के दोस्त मोईनुद्दीन संजरी आरहे रहे
हैं हम उनके इस्तकबाल के लिए आये हैं |
वेसाल के वक़्त आपकी जबीने अक्दस पर नुरानी तहरीर जगमगारही थी “ ये अल्लाह के
महबूब हैं जो मोहब्बते इलाही में वेसाल कर गए | आपकी जाते मोबारक से ब्लेहाज
मज्हबो मिल्लत सभी इक्तेसाब फुयुजू बरकात किया करते हैं आपका वेसाल मोबारक 6 रजबुल मुरज्जब 627 हिजरी ,21 मई 1230 इसवी बरोज सोमवार को हुआ |
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